पाकिस्तान का झूठ फिर बेनकाब, विज्ञापन देकर चंदा मांग रहा है आतंकी जैश-ए-मोहम्मद !!

आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद !
duniya news | Date: 12-Mar-2019 | 15:14:38
12 मार्च 2019,
नई दिल्ली !!
पाकिस्तान की पनाह में पल रहे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद को लेकर पाकिस्तानी सेना और सरकार कैसे झूठ बोलती है, इस बात का खुलासा मीडिया की SIT ने कर दिया है. दरअसल, जैश एक बैन आतंकवादी संगठन है. मगर इसी जैश का पाकिस्तान से अपना अखबार निकलता है और बाकायदा उसी अखबार में जैश को चंदा देने के लिए इश्तेहार भी छपता है. और ये चंदा बाकायदा पाकिस्तानी बैंक के अकाउंट में जाता है. मीडिया की इनवेस्टिगेशन टीम ने भी जैश को चंदा देने के नाम पर फोन घुमा दिया.
पाकिस्तान में हैं जैश का सरगना मसूद अज़हर !
रंग बदलना किसे कहते हैं. ये समझना हो तो पहले पाकिस्तान को समझिए. जिसने बालाकोट में इंडियन एयरफोर्स की स्ट्राइक के बाद कहा जैश का सरगना मसूद अज़हर पाकिस्तान में हैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने खुद बयान देते हुए कहा कि मसूद पाकिस्तान में है. पता चला है कि वो काफी बीमार है. चल फिर भी नहीं सकता. और फिर अंतरराष्ट्रीय दबाव को देखते हुए महज़ एक हफ्ते में अपनी ही धुरी पर 180 डिग्री घूम गया. लब्बोलुआब ये कि आतंकियों को बचाने के लिए पाकिस्तान किसी भी हद तक जा सकता है.
मगर मीडिया ने पाकिस्तान के हर झूठ से पर्दा हटाने के लिए पूरी पड़ताल कर ली है. हमारी स्पेशल इनवेस्टीगेटिंग टीम ने ना सिर्फ जैश को मिल रही पाकिस्तानी आर्मी की शह का खुलासा करने जा रही है. बल्कि उसे मिल रही विदेशी फंडिंग की कड़ी भी हमने जोड़ दी है.
जैश का ये साप्ताहिक अखबार ऑनलाइन भी उपलब्ध है !
पेशावर से छपने वाला एक साप्ताहिक उर्दू अखबार है अल-क़लम. जिसे जैश के सरगना मसूद अजहर का मुखपत्र माना जाता है. और इसी के ज़रिए आतंकी संगठन जैश अपने नापाक इरादों को पूरा करने के लिए आर्थिक मदद इकट्ठा करता है. जैश का ये साप्ताहिक अखबार ऑनलाइन भी उपलब्ध है. जिसमें ज़्यादातर भारत और जम्मू-कश्मीर से जुड़ी खबरें रहती हैं. आतंकियों को मुजाहिदीन कहकर उनकी तारीफ की जाती है.
पेशावर से छपने वाला ये अखबार दरअसल, एक आदमी की ज़िम्मेदारी है. जिसका नाम है तल्हा सैफ. मसूद अजहर का बेहद करीबी और जैश के प्रोपेगैंडा विंग का चीफ. ये वही तल्हा है जिसका ज़िक्र भारत ने पुलवामा हमले के मामले में पाकिस्तान को सौंपे डोज़ियर में भी किया है. जब हमने जैश के इस अखबार के पिछले एडिशन्स को खंगाला. तब हमारी नज़र से गुज़रा जैश का ये पुराना इश्तेहार. जो इस बात का सबूत है कि जैश को सिर्फ पाकिस्तान से ही नहीं बल्कि दुनियाभर में रईस उद्योगपतियों से भी फंडिग होती है. और इसी के ज़रिए वो पाकिस्तानी युवाओं को बेहतर ज़िंदगी का लालच देकर आतंकी बनाते हैं.
एक-एक करके जैश का तमाम राज़ परत दर परत खुलने लगा !
बहरहाल, जब हमने इश्तहार में दिए गए नंबर को खंगाला तो पता चला कि जिस मोहम्मद रियाज़ का नाम दर्ज है वो अभी भी जैश के लिए फंड इकट्ठा कर रहा है. मीडिया की स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम के एक सदस्य ने इसकी पड़ताल करने के लिए जैसे ही दुबई में बसे एक पाकिस्तानी बिज़नेस मैन का मुखौटा पहना. एक-एक करके जैश का तमाम राज़ परत दर परत खुलने लगा. फोन पर रियाज़ ने ना सिर्फ अपनी पहचान कबूली बल्कि उसने लाहौर में जैश के एक और आतंकी का नाम सुझाया जिसे डोनेशन दी जानी थी.
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