रिवर फ्रंट घोटाला : अखिलेश यादव के लिए बढ़ी मुश्किल, UP समेत 4 राज्यों में ED ने की छापेमारी !!

विशाल खंड के इसी घर पर पड़ा ED का छापा !
uttar-pradesh news | Date: 24-Jan-2019 | 15:42:35
24 जनवरी 2019,
लखनऊ !!
कथित खनन घोटाले में CBI के छापे के बाद अब SP सुप्रीमो और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ड्रीम प्रॉजेक्ट में घोटाले को लेकर ED ने छापेमारी की है। दरअसल, यूपी के मुख्यमंत्री रहते गोमती रिवर फ्रंट प्रॉजेक्ट अखिलेश का ड्रीम प्रोजेक्ट था लेकिन इसमें करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप लगा है। इसी मामले में गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छापेमारी शुरू कर दी।
यूपी, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में की छापेमारी !
आपको बता दें कि घोटाले का मामला दर्ज करने के बाद ED की यह पहली छापेमारी है। बताया जा रहा है कि ED ने देश के चार राज्यों यूपी, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में छापेमारी की है। ED की यह कार्रवाई सिंचाई विभाग के पूर्व अधिकारियों, इंजिनियरों और गैमन इंडिया कंपनी के अधिकारियों के 8 ठिकानों पर चल रही है।
लखनऊ में ED की टीमों ने गोमती नगर के विशालखंड और राजाजीपुरम इलाके में छापा मारा। गोमती नगर के विशालखंड स्थित मकान नंबर 3/332 में ED की टीम पहुंची। इस विशाल घर के बाहर शिवांश नाम लिखा है। ED ने इस मकान को अंदर से बंद कर लिया है। किसी के भी अंदर जाने और बाहर आने पर रोक है। यह मकान ठेकेदार अखिलेश सिंह का है। बताया जा रहा है कि अखिलेश संतकबीरनगर के मेहंदावल से भाजपा विधायक राकेश सिंह के भाई हैं।
ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को दिया काम !
गोमती रिवर फ्रंट प्रॉजेक्ट के घोटाले में बीते सितंबर में छह बड़ी कंपनियों को समन जारी किया था। ED के अधिकारियों ने बताया कि प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि जो कंपनियां ब्लैक लिस्टेड थीं, उन्हें रिवर फ्रंट के काम के ठेके दिए गए। इतना ही नहीं, इन कंपनियों को अधिक भुगतान भी किया गया। जिस राशि पर ठेका दिया गया, उससे अधिक भुगतान किया गया।
कई राज्यों में ब्लैक लिस्टेड हो चुकी गैमन इंडिया को दो ठेके दिए गए, वह भी सबसे ऊंचे रेट 665 करोड़ पर। इस कंपनी को भी काम से ज्यादा भुगतान किया गया। वहीं केके स्पून कंपनी तो टेंडर के लिए योग्य ही नहीं थी। यहां तक कि कंपनी बेसिक योग्यताएं भी पूरी नहीं कर रही थी, जैसे सिंचाई विभाग में पंजीकरण। चौंकाने वाली बात यह है कि कंपनी को ठेका पहले दे दिया गया और बाद में कंपनी सिंचाई विभाग में पंजीकृत हुई।
6 कंपनियों को जारी किया था समन !
ED ने बीते सितंबर महीने में गैमन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, केके स्पून पाइप प्राइवेट लिमिटेड, रिशु कंस्ट्रक्शन, हाइटेक कम्पेटेंट बिल्डिर्स प्राइवेट लिमिटेड और तराई कंस्ट्रक्शन को समन जारी किया था।
इनके खिलाफ दर्ज हुई थी FIR !
सिंचाई विभाग के तत्कालीन चीफ इंजिनियर गुलेश चंद्रा (रिटायर्ड), एसएन शर्मा, काजिम अली, तत्कालीन सुपरिटेंडेंट इंजीनियर (रिटायर्ड) शिव मंगल यादव, अखिल रमन (रिटायर्ड), रूप सिंह यादव (रिटायर), कमलेश्वर सिंह और एक्जिक्यूटिव इंजीनियर सुरेंद्र यादव के खिलाफ गबन, धोखाधड़ी, जालसाजी, घूसखोरी, भ्रष्टाचार और सरकारी पद के दुरुपयोग के आरोप में सबसे पहली एफआईआर दर्ज हुई थी।
क्या है मामला ?
गोमती रिवर फ्रंट का काम अखिलेश सरकार में 2015 में शुरू हुआ था। इसका शुरुआती बजट 550 करोड़ रुपये था। बाद में इसकी लागत बढ़कर 1467 करोड़ रुपये हो गई। योगी सरकार आने तक परियोजना पर 1427 करोड़ रुपये खर्च भी हो चुके थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समीक्षा बैठक की तो परियोजना पूरी करने के लिए 1500 करोड़ से ज्यादा का अतिरिक्त बजट और बताया गया। इस पर CM की नाराजगी के बाद जांच शुरू हुई। पहले एक जज की कमिटी ने जांच की। उसके बाद नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाई गई। इसके बाद CBI जांच की सिफारिश भी हुई।
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